लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 ( Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012 (POCSO) )

संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा अंगीकृत बालकों के अधिकारों से संबंधित अभिसमय को, जो बालक के सर्वोत्तम हितों को सुरक्षित करने के लिए सभी राज्य पक्षकारों द्वारा पालन किए जाने वाले मानकों को विहित करता है, भारत सरकार ने तारीख 11 दिसम्बर, 1992 को अंगीकृत किया है ;

बालक के उचित विकास के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उसकी निजता और गोपनीयता के अधिकार का सभी प्रकार से तथा बालकों को अंतर्वलित करने वाली न्याय प्रक्रिया के सभी प्रक्रमों के माध्यम से संरक्षित और सम्मानित किया जाए ;

यह अनिवार्य है कि विधि ऐसी रीति से प्रवर्तित हो कि बालक के अच्छे शारीरिक, भावात्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक प्रक्रम पर बालक के सर्वोत्तम हित और कल्याण पर सर्वोपरि महत्व के रूप में ध्यान दिया जाए ;

बालक के अधिकारों से संबंधित अभिसमय के राज्य पक्षकारों से निम्नलिखित का निवारण करने के लिए सभी समुचित राष्ट्रीय, द्विपक्षीय या बहुपक्षीय उपाय करना अपेक्षित है,

(क) किसी विधिविरुद्ध लैंगिक क्रियाकलाप में लगाने के लिए किसी बालक को उत्प्रेरित या प्रपीड़न करना ;

(ख) वेश्यावृत्ति या अन्य विधिविरुद्ध लैंगिक व्यवसायों में बालकों का शोषणात्मक उपयोग करना ;

(ग) अश्लील गतिविधियों और सामग्रियों में बालकों का शोषणात्मक उपयोग करना ;

बालकों के लैंगिक शोषण और लैंगिक दुरुपयोग जघन्य अपराध हैं, और उन पर प्रभावी रूप से कार्रवाई करने की आवश्यकता है ।

भारत गणराज्य के तिरसठवें वर्ष में संसद्‌ द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 है ।

(2) इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर है ।

(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ।

2. परिभाषाएं (1) इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,

(क) गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमलाञ्ज् का वही अर्थ है जो धारा 5 में है ;

(ख) गुरुतर लैंगिक हमलाञ्ज् का वही अर्थ है जो धारा 9 में है ;

(ग) सशस्त्र बल या सुरक्षा बलञ्ज् से संघ के सशस्त्र बल या अनुसूची में यथाविनिर्दिष्ट सुरक्षा बल या पुलिस बल अभिप्रेत है ;

(घ) बालकञ्ज् से ऐसा कोई व्यक्ति, अभिप्रेत है जिसकी आयु अठारह वर्ष से कम है ;

(ङ) घरेलू संबंधञ्ज् का वह अर्थ होगा जो घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 (2005 का 43) की धारा 2 के खंड (च) में है ;

(च) प्रवेशन लैंगिक हमलाञ्ज् का वही अर्थ है जो धारा 3 में है ;

(छ) विहितञ्ज् से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;

(ज) धार्मिक संस्थाञ्ज् का वह अर्थ होगा जो धार्मिक संस्था (दुरुपयोग निवारण) अधिनियम, 1988 (1988 का 41) में है ;

(झ) लैंगिक हमलाञ्ज् का वही अर्थ है जो धारा 7 में है ;

(ञ) लैंगिक उत्पीड़नञ्ज् का वही अर्थ है जो धारा 11 में है ;

(ट) साझी गृहस्थीञ्ज् से ऐसी गृहस्थी अभिप्रेत है, जहां अपराध से आरोपित व्यक्ति, बालक के साथ घरेलू नातेदारी में रहता है, या किसी समय पर रह चुका है ;

(ठ) विशेष न्यायालयञ्ज् से धारा 28 के अधीन उस रूप में अभिहित कोई न्यायालय अभिप्रेत है ;

(ड) विशेष लोक अभियोजकञ्ज् से धारा 32 के अधीन नियुक्त कोई अभियोजक अभिप्रेत है ।

(2) उन शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त हैं, और परिभाषित नहीं हैं किन्तु भारतीय दंड संहिता, 1860 (1860 का 45), दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2), किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 (2000 का 56) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) में परिभाषित हैं वही अर्थ होंगे जो उक्त संहिताओं या अधिनियमों में हैं ।

बालकों के विरुद्ध लैंगिक अपराध

क. प्रवेशन लैंगिक हमला और उसके लिए दंड

3. प्रवेशन लैंगिक हमला कोई व्यक्ति, प्रवेशन लैंगिक हमलाञ्ज् करता है, यह कहा जाता है, यदि वह

(क) अपना लिंग, किसी भी सीमा तक किसी बालक की योनि, मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में प्रवेश करता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है ; या

(ख) किसी वस्तु या शरीर के किसी ऐसे भाग को, जो लिंग नहीं है, किसी सीमा तक बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में घुसेड़ता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है ; या

(ग) बालक के शरीर के किसी भाग के साथ ऐसा अभिचालन करता है जिससे वह बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा या शरीर के किसी भाग में प्रवेश कर सके या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है ; या

(घ) बालक के लिंग, योनि, गुदा या मूत्रमार्ग पर अपना मुंह लगाता है या ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति के साथ बालक से ऐसा करवाता है ।

4. प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दंड जो कोई प्रवेशन लैंगिक हमला करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

ख. गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला और उसके लिए दंड

5. गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला (क) जो कोई, पुलिस अधिकारी होते हुए, किसी बालक पर

(त्) पुलिस थाने या ऐसे परिसरों की सीमाओं के भीतर जहां उसकी नियुक्ति की गई है ; या

(त्त्) किसी थाने के परिसरों में, चाहे उस पुलिस थाने में अवस्थित हैं या नहीं जिसमें उसकी नियुक्ति की गई है ; या

(त्त्त्) अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा ; या

(त्ध्) जहां वह, पुलिस अधिकारी के रूप में ज्ञात हो या उसकी पहचान की गई हो,

प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ख) जो कोई सशस्त्र बल या सुरक्षा बल का सदस्य होते हुए बालक पर,

(त्) ऐसे क्षेत्र की सीमाओं के भीतर जिसमें वह व्यक्ति तैनात है ; या

(त्त्) बलों या सशस्त्र बलों की कमान के अधीन किन्हीं क्षेत्रों में ; या

(त्त्त्) अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा ; या

(त्ध्) जहां उक्त व्यक्ति, सुरक्षा या सशस्त्र बलों के सदस्य के रूप में ज्ञात हो या उसकी पहचान की गई हो,

प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ग) जो कोई लोक सेवक होते हुए, किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(घ) जो कोई किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह, संरक्षण गृह, संप्रेक्षण गृह या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित अभिरक्षा या देखरेख और संरक्षण के किसी अन्य स्थान का प्रबंध या कर्मचारिवृंद ऐसे जेल, प्रतिप्रेषण गृह, संप्रेक्षण गृह या अभिरक्षा या देखरेख और संरक्षण के अन्य स्थान पर रह रहे किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ङ) जो कोई, किसी अस्पताल, चाहे सरकारी या प्राइवेट हो, का प्रबंध या कर्मचारिवृंद होते हुए उस अस्पताल में किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(च) जो कोई, किसी शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था का प्रबंध या कर्मचारिवृंद होते हुए उस संस्था में किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(छ) जो कोई, किसी बालक पर सामूहिक प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ।

स्पष्टीकरण जहां किसी बालक पर, किसी समूह के एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा उनके सामान्य आशय को अग्रसर करने में लैंगिक हमला किया गया है वहां ऐसे प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इस खंड के अर्थांतर्गत सामूहिक प्रवेशन लैंगिक हमला किया जाना समझा जाएगा और ऐसा प्रत्येक व्यक्ति उस कृत्य के लिए वैसी ही रीति से दायी होगा मानो वह उसके द्वारा अकेले किया गया था ; या

(ज) जो कोई, किसी बालक पर घातक आयुध, अग्न्यायुध, गर्म पदार्थ या संक्षारक पदार्थ का प्रयोग करते हुए प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(झ) जो कोई, किसी बालक को घोर उपहति कारित करते हुए या शारीरिक रूप से नुकसान और क्षति करते हुए, या उसके/उसकी जननेंद्रियों को क्षति करते हुए प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ञ) जो कोई, किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है जिससे,

(त्) बालक शारीरिक रूप से अशक्त हो जाता है या बालक मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 (1987 का 14) की धारा 2 के खंड (ख) के अधीन यथापरिभाषित मानसिक रूप से रोगी हो जाता है या किसी प्रकार का ऐसा ह्रास कारित करता है जिससे बालक अस्थायी या स्थायी रूप से नियमित कार्य करने में अयोग्य हो जाता है ; या

(त्त्) बालिका की दशा में, वह लैंगिक हमले के परिणामस्वरूप, गर्भवती हो जाती है ;

(त्त्त्) बालक, मानव प्रतिरक्षाह्रास विषाणु या किसी ऐसे अन्य प्राणघातक रोग या संक्रमण से ग्रस्त हो जाता है जो बालक को शारीरिक रूप से अयोग्य, या नियमित कार्य करने में मानसिक रूप से अयोग्य करके अस्थाई या स्थाई रूप से ह्रास कर सकेगा ; या

(ट) जो कोई, बालक की मानसिक और शारीरिक अशक्तता का लाभ उठाते हुए बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ठ) जो कोई, उसी बालक पर एक से अधिक बार या बार-बार प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ड) जो कोई, बारह वर्ष से कम आयु के किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ढ) जो कोई, बालक का रक्त या दत्तक या विवाह या संरक्षकता द्वारा या पोषण देखभाल करने वाला नातेदार या बालक के माता-पिता के साथ घरेलू संबंध रखते हुए या जो बालक के साथ साझी गृहस्थी में रहता है ऐसे बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ण) जो कोई, बालक को सेवा प्रदान करने वाली किसी संस्था का स्वामी या प्रबंध या कर्मचारिवृंद होते हुए बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(त) जो कोई, किसी बालक के न्यासी या प्राधिकारी के पद पर होते हुए बालक की किसी संस्था या गृह या कहीं और, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(थ) जो कोई, यह जानते हुए कि बालक गर्भ से है, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(द) जो कोई, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है और बालक की हत्या करने का प्रयत्न करता है ; या

(ध) जो कोई, सामुदायिक या पंथिक हिंसा के दौरान बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(न) जो कोई, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है और जो पूर्व में इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने के लिए या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन दंडनीय कोई लैंगिक अपराध किए जाने के लिए दोषसिद्ध किया गया है ; या

(प) जो कोई, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है और बालक को सार्वजनिक रूप से विवस्त्र करता है या नग्न करके प्रदर्शन करता है,

वह गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है, यह कहा जाता है ।

6. गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दंड जो कोई, गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला करेगा वह कठोर कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

ग. लैंगिक हमला और उसके लिए दंड

7. लैंगिक हमला जो कोई, लैंगिक आशय से बालक की योनि, लिंग, गुदा या स्तनों को स्पर्श करता है या बालक से ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति की योनि, लिंग, गुदा या स्तन का स्पर्श कराता है या लैंगिक आशय से ऐसा कोई अन्य कार्य करता है जिसमें प्रवेशन किए बिना शारीरिक संपर्क अंतर्ग्रस्त होता है, लैंगिक हमला करता है, यह कहा जाता है ।

8. लैंगिक हमले के लिए दंड जो कोई, लैंगिक हमला करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

घ. गुरुतर लैंगिक हमला और उसके लिए दंड

9. गुरुतर लैंगिक हमला (क) जो कोई, पुलिस अधिकारी होते हुए, किसी बालक पर

(त्) पुलिस थाने या ऐसे परिसरों की सीमाओं के भीतर जहां उसकी नियुक्ति की गई है ; या

(त्त्) किसी थाने के परिसरों में, चाहे उस पुलिस थाने में अवस्थित हैं या नहीं जिसमें उसकी नियुक्ति की गई है ; या

(त्त्त्) अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा ; या

(त्ध्) जहां वह, पुलिस अधिकारी के रूप में ज्ञात हो या उसकी पहचान की गई हो, प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ; या

(ख) जो कोई, सशस्त्र बल या सुरक्षा बल का सदस्य होते हुए बालक पर,

(त्) ऐसे क्षेत्र की सीमाओं के भीतर जिसमें वह व्यक्ति तैनात है ; या

(त्त्) सुरक्षा या सशस्त्र बलों की कमान के अधीन किन्हीं क्षेत्रों में ; या

(त्त्त्) अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा ; या

(त्ध्) जहां वह, सुरक्षा या सशस्त्र बलों के सदस्य के रूप में ज्ञात हो या उसकी पहचान की गई हो,

लैंगिक हमला करता है ; या

(ग) जो कोई लोक सेवक होते हुए, किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(घ) जो कोई, किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह या संरक्षण गृह या संप्रेक्षण गृह या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित अभिरक्षा या देखरेख और संरक्षण के किसी अन्य स्थान का प्रबंध या कर्मचारिवृंद होते हुए, ऐसे जेल या प्रतिप्रेषण गृह या संरक्षण गृह या संप्रेक्षण गृह या अभिरक्षा या देखरेख और संरक्षण के अन्य स्थान पर रह रहे किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(ङ) जो कोई, किसी अस्पताल, चाहे सरकारी या प्राइवेट हो, का प्रबंध या कर्मचारिवृंद होते हुए उस अस्पताल में किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(च) जो कोई, किसी शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था का प्रबंध तंत्र या कर्मचारिवृंद होते हुए उस संस्था में के किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(छ) जो कोई, बालक पर सामूहिक लैंगिक हमला करता है ।

स्पष्टीकरण जहां किसी बालक पर, किसी समूह के एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा उनके सामान्य आशय को अग्रसर करने में लैंगिक हमला किया गया है वहां ऐसे प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इस खंड के अर्थांतर्गत सामूहिक लैंगिक हमला किया जाना समझा जाएगा और ऐसा प्रत्येक व्यक्ति उस कृत्य के लिए वैसी ही रीति से दायी होगा मानो वह उसके द्वारा अकेले किया गया था ; या

(ज) जो कोई, बालक पर घातक आयुध, अग्न्यायुध, गर्म पदार्थ या संक्षारक पदार्थ का प्रयोग करते हुए लैंगिक हमला करता है ; या

(झ) जो कोई, किसी बालक को घोर उपहति कारित करते हुए या शारीरिक रूप से नुकसान और क्षति करते हुए, या उसके/उसकी जननेंद्रियों को क्षति करते हुए लैंगिक हमला करता है ; या

(ञ) जो कोई, किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है जिससे

(त्) बालक शारीरिक रूप से अशक्त हो जाता है या बालक मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 (1987 का 14) की धारा 2 के खंड (ठ) के अधीन यथापरिभाषित मानसिक रूप से रोगी हो जाता है या किसी प्रकार का ऐसा ह्रास कारित करता है जिससे बालक अस्थायी या स्थायी रूप से नियमित कार्य करने में अयोग्य हो जाता है ; या

(त्त्) बालक, मानव प्रतिरक्षाह्रास विषाणु या किसी ऐसे अन्य प्राणघातक रोग या संक्रमण से ग्रस्त हो जाता है जो बालक को शारीरिक रूप से अयोग्य, या नियमित कार्य करने में मानसिक रूप से अयोग्य करके अस्थायी या स्थायी रूप से ह्रास कर सकेगा ; या

(ट) जो कोई, बालक की मानसिक और शारीरिक अशक्तता का लाभ उठाते हुए बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(ठ) जो कोई, बालक पर एक से अधिक बार या बार-बार लैंगिक हमला करता है ; या

(ड) जो कोई, बारह वर्ष से कम आयु के किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(ढ) जो कोई, बालक का रक्त या दत्तक या विवाह या संरक्षकता द्वारा या पोषण देखभाल करने वाला नातेदार या बालक के माता-पिता के साथ घरेलू संबंध रखते हुए या जो बालक के साथ साझी गृहस्थी में रहता है, ऐसे बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(ण) जो कोई, बालक को सेवा प्रदान करने वाली किसी संस्था का स्वामी या प्रबंध या कर्मचारिवृंद होते हुए बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(त) जो कोई, किसी बालक के न्यासी या प्राधिकारी के पद पर होते हुए, बालक की किसी संस्था या गृह में या कहीं और, बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(थ) जो कोई, यह जानते हुए कि बालक गर्भ से है, बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(द) जो कोई, बालक पर लैंगिक हमला करता है और बालक की हत्या करने का प्रयत्न करता है ; या

(ध) जो कोई, सामुदायिक या पंथिक हिंसा के दौरान बालक पर लैंगिक हमला करता है ; या

(न) जो कोई, बालक पर लैंगिक हमला करता है और जो पूर्व में इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने के लिए या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन दंडनीय कोई लैंगिक अपराध किए जाने के लिए दोषसिद्ध किया गया है ; या

(प) जो कोई, बालक पर लैंगिक हमला करता है और बालक को सार्वजनिक रूप से विवस्त्र करता है या नग्न करके प्रदर्शन करता है,

वह गुरुतर लैंगिक हमला करता है, यह कहा जाता है ।

10. गुरुतर लैंगिक हमले के लिए दंड जो कोई, गुरुतर लैंगिक हमला करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

ङ. लैंगिक उत्पीड़न और उसके लिए दंड

11. लैंगिक उत्पीड़न कोई व्यक्ति, किसी बालक पर लैंगिक उत्पीड़न करता है, यह कहा जाता है जब ऐसा व्यक्ति लैंगिक आशय से

(त्) कोई शब्द कहता है या कोई ध्वनि या अंगविक्षेप करता है या कोई वस्तु या शरीर का भाग इस आशय के साथ प्रदर्शित करता है कि बालक द्वारा ऐसा शब्द या ध्वनि सुनी जाएगी या ऐसा अंगविक्षेप या वस्तु या शरीर का भाग देखा जाएगा ; या

(त्त्) किसी बालक को उसके शरीर या उसके शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करवाता है जिससे उसको ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा देखा जा सके ;

(त्त्त्) अश्लील प्रयोजनों के लिए किसी प्ररूप या मीडिया में किसी बालक को कोई वस्तु दिखाता है ; या

(त्ध्) बालक को या तो सीधे या इलेक्ट्रानिक, अंकीय या किसी अन्य साधनों के माध्यम से बार-बार या निरंतर पीछा करता है या देखता है या संपर्क करता है ; या

(ध्) बालक के शरीर के किसी भाग या लैंगिक कृत्य में बालक के अंतर्ग्रस्त होने का, इलेक्ट्रानिक, फिल्म या अंकीय या किसी अन्य पद्धति के माध्यम से वास्तविक या गढ़े गए चित्रण को मीडिया के किसी रूप में उपयोग करने की धमकी देता है ; या

(ध्त्) अश्लील प्रयोजनों के लिए किसी बालक को प्रलोभन देता है या उसके लिए परितोषण देता है ।

स्पष्टीकरण कोई प्रश्न, जिसमें लैंगिक आशयञ्ज् अंतर्वलित है, तथ्य का प्रश्न होगा ।

12. लैंगिक उत्पीड़न के लिए दंड जो कोई, किसी बालक पर लैंगिक उत्पीड़न करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग और उसके लिए दंड

13. अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग जो कोई, किसी बालक का, मीडिया के (जिसमें टेलीविजन चैनलों या इंटरनेट या कोई अन्य इलेक्ट्रानिक प्ररूप या मुद्रित प्ररूप द्वारा प्रसारित कार्यक्रम या विज्ञापन चाहे ऐसे कार्यक्रम या विज्ञापन का आशय व्यक्तिगत उपयोग या वितरण के लिए हो या नहीं, सम्मिलित हैं) किसी प्ररूप में ऐसे लैंगिक परितोषण के प्रयोजनों के लिए उपयोग करता है, जिसमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं

(क) किसी बालक की जननेंद्रियों का प्रतिदर्शन करना ;

(ख) किसी बालक का उपयोग वास्तविक या नकली लैंगिक कार्यों में (प्रवेशन के साथ या उसके बिना) करना ;

(ग) किसी बालक का अशोभनीय या अश्लीलतापूर्ण प्रतिदर्शन करना,

वह किसी बालक का अश्लील प्रयोजनों के लिए उपयोग करने के अपराध का दोषी होगा ।

स्पष्टीकरण इस धारा के प्रयोजनों के लिए किसी बालक का उपयोगञ्ज् पद में अश्लील सामग्री को तैयार, उत्पादन, प्रस्थापन, पारेषण, प्रकाशन सुकर और वितरण करने के लिए मुद्रण, इलेक्ट्रानिक, कम्प्यूटर या किसी अन्य तकनीक के किसी माध्यम से किसी बालक को अंतर्वलित करना सम्मिलित है ।

14. अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक के उपयोग के लिए दंड (1) जो कोई, अश्लील प्रयोजनों के लिए किसी बालक या बालकों का उपयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा तथा दूसरे या पश्चात्‌्‌वर्ती दोषसिद्धि की दशा में, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

(2) यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति धारा 3 में निर्दिष्ट किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर करेगा, वह किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

(3) यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति धारा 5 में निर्दिष्ट किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर, करेगा, वह कठोर आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

(4) यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति धारा 7 में निर्दिष्ट किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर करेगा, वह किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि छह वर्ष से कम नहीं होगी किंतु जो आठ वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

(5) यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति धारा 9 में निर्दिष्ट किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर करेगा, वह किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि आठ वर्ष से कम नहीं होगी किंतु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

15. बालक को सम्मिलित करने वाली अश्लील सामग्री के भंडारकरण के लिए दंड कोई व्यक्ति जो वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए बालक को सम्मिलित करते हुए किसी अश्लील सामग्री का किसी भी रूप में भंडारकरण करेगा, वह किसी भांति के कारावास से, जो तीन वर्ष तक का हो सकेगा या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा ।

किसी अपराध का दुष्प्रेरण और उसको करने का प्रयत्न

16. किसी अपराध का दुष्प्रेरण कोई व्यक्ति किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो

पहला उस अपराध को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है ; अथवा

दूसरा उस अपराध को करने के लिए किसी षड्यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षड्यंत्र के अनुसरण में, और उस अपराध को करने के उद्देश्य से, कोई कार्य या अवैध लोप घटित हो जाए ; अथवा

तीसरा उस अपराध के लिए किए जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा साशय सहायता करता है ।

स्पष्टीकरण 1 कोई व्यक्ति जो जानबूझकर दुर्व्यपदेशन द्वारा या तात्विक तथ्य, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छया किसी अपराध का किया जाना कारित या उपाप्त करता है अथवा कारित या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह उस अपराध का किया जाना उकसाता है, यह कहा जाता है ।

स्पष्टीकरण 2 जो कोई या तो किसी कार्य के किए जाने से पूर्व या किए जाने के समय, उस कार्य के किए जाने को सुकर बनाने के लिए कोई कार्य करता है और तद्‌्‌द्वारा उसके किए जाने को सुकर बनाता है, वह उस कार्य के करने में सहायता करता है, यह कहा जाता है ।

स्पष्टीकरण 3 जो कोई किसी बालक को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के प्रयोजन के लिए धमकी या बल प्रयोग या प्रपीड़न के अन्य रूप, अपहरण, कपट, प्रवंचना, शक्ति या स्थिति के दुरुपयोग, भेद्यता या संदायों को देने या प्राप्त करने या अन्य व्यक्ति पर नियंत्रण रखने वाले किसी व्यक्ति की सहमति प्राप्त करने के लिए फायदों के माध्यम से नियोजित करता है, आश्रय देता है या उसे प्राप्त या परिवाहित करता है, उस कार्य के करने में सहायता करता है, यह कहा जाता है ।

17. दुष्प्रेरण के लिए दंड जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का दुष्प्रेरण करता है, यदि दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया जाता है, तो वह उस दंड से दंडित किया जाएगा जो उस अपराध के लिए उपबंधित है ।

स्पष्टीकरण कोई कार्य या अपराध दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया गया तब कहा जाता है, जब वह उस उकसाहट के परिणामस्वरूप या उस षड्यंत्र के अनुसरण में या उस सहायता से किया जाता है, जिससे दुष्प्रेरण गठित होता है ।

18. किसी अपराध को करने के प्रयत्न के लिए दंड जो कोई इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध को करने का प्रयत्न करेगा या किसी अपराध को करवाएगा और ऐसे प्रयत्न में अपराध करने हेतु कोई कार्य करेगा वह अपराध के लिए उपबंधित किसी भांति के ऐसे कारावास से, यथास्थिति, जिसकी अवधि आजीवन कारावास के आधे तक की या उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास से जिसकी अवधि दीर्घतम अवधि के आधे तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा ।